पिछले कई दिनों से गुजरात की सियासत गर्मा रही है. एक तरफ गुजरात के एक लोकप्रिय चैनल के संपादक के पद से इसुदान गढवी के इस्तीफे के बाद चर्चा तेज हो गई है कि वह किस पार्टी में शामिल होंगे. दूसरी ओर, गुजरात प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, प्रभारी और नेता प्रतिपक्ष के रूप में किस चुना जाएगा,यह तय करने के लिए सभी कांग्रेसी बैठक कर रहे हैं। फिर पिछले 25 दिनों से सियासी हलचल शुरू हो गए हैं और एक के बाद एक गुजरात से बड़े कांग्रेसी नेताओं का दिल्ली जाना शुरू हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक भूतकाल में दो बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके भरत सिंह सोलंकी अभी तक कुछ नहीं कर पाए हैं। गुजरात की जनता पिछले 10 साल से भाजपा ओर कांग्रेस से तंग आ चुके है ऐसा कहते हुए कांग्रेसी नेता अब तक एक बेहतर विकल्प की तलाश में है, गुजराति कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार है लेकिन जनता की चर्चा के अनुसार प्रदेश के नेतृत्व से लोग नाखुश थे. प्रदेश के अध्यक्ष अमित चावड़ा महज एक प्रतीक थे लेकिन 2021 की नगर निगम चुनाव में टिकिटो की बिक्री ओर महिलाओं के साथ छेड़खानी देखने को मिली थी यह सब हमने मीडिया में देखा था.
सूरत सिटी कांग्रेस मीडिया सेल के देवांग देसाई नाम के एक कार्यकर्ता से बातचीत के मुताबिक कार्यकर्ता काफी गुस्से में ही ओर उनका भी कुछ ऐसा ही कहना है. गुजरात के लोग 2007 से भाजपा सरकार से असंतुष्ट है और इन्होंने तीसरा विकल्प क्यों चुना। लेकिन कांग्रेस की तरह क्यों नहीं? आम आदमी पार्टी के पास कोई विचार नहीं है, आप के पास कोई नेता या संगठन नहीं होने पर भी सूरत महानगर चुनाव में 27 बेठक मिली ओर कांग्रेस के पास यह सब होने के दावा किया गया तो भी 0 बैठक क्यू मिली?
सूरत के हिरन मंगुकिया कहते है,”ओबीसी समाज के कांग्रेस के साथ होने का गुणगान करने कांग्रेसी नेताओं ने गुजरात में सभी पंचायती राज और विधानसभा उपचुनाव की सभी सीटों क्यों गवा दी? 1969 के बाद 40 साल में पाटीदार नेता को सिर्फ 2 साल के लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद मिला, क्षत्रिय को 2 साल के लिए बाकी सभी ओबीसी समुदाय के नेताओं के लिए पद मिला लेकिन नतीजा शून्य रहा।
गुजरात प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के कार्यकर्ता हीरेन मंगूकिया का कहना है की गुजरात कांग्रेस के इतिहास में सबसे असफल अध्यक्ष के रूप में अमित चावड़ा है। उनके कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक निर्वाचित विधायक और फूल मिलके 300 पहली और दूसरी हरोल के नेताओ कांग्रेस छोड चुके हैं ओर दूसरे 500 कांग्रेस के आगेवानो ने पार्टी छोड़ दी है। चुनाव के दौरान टिकट का व्यापार करने वाले, गर्लफ्रेंड को टिकिट देने वालो,राज्यसभा टिकिट के लिए ब्लैकमेल करने वाले आदि आज भी दिल्ली में अध्यक्ष पद की आस में बैठे है।